विदेश मंत्रालय 11 दिसंबर को करेगा बांग्लादेश की स्थिति पर ब्रीफिंग ,मौजूदा हालात की होगी समीक्षा
बांग्लादेश की स्थिति पर भारतीय विदेश मंत्रालय की समीक्षा

दीपक मिश्रा/कांकेर – भारत के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि वह 11 दिसंबर को संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति को बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर विस्तृत जानकारी देगा। यह कदम हाल ही में बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ से जुड़े विवादों के बीच उठाया गया है।
विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग का उद्देश्य
विदेश मंत्रालय की इस ब्रीफिंग का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, उनके अधिकारों और दोनों देशों के संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सांसदों को अवगत कराना है।
संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं। भारत की विदेश नीति से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों की समीक्षा करती है। इस समिति की बैठक में बांग्लादेश की स्थिति पर गहन चर्चा की उम्मीद है। जिसमें विशेष रूप से हालिया इस्कॉन विवाद और हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा के मामलों को प्राथमिकता से लिया जाएगा।
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हिंदू समुदाय की सुरक्षा पर जोर
सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय की इस रिपोर्ट में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा, धार्मिक स्थलों की स्थिति और सामाजिक समरसता को लेकर भारत की चिंताओं पर प्रकाश डाला जाएगा। मंत्रालय के अधिकारियों ने पहले ही ढाका में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से बांग्लादेश सरकार से स्थिति पर स्पष्टीकरण और कार्रवाई की मांग की है। विदेश मंत्रालय ने भारत में हाल ही में बढ़ रही चिंताओं को लेकर शांत और सशक्त कूटनीति अपनाने पर जोर दिया है।
विदेश मामलों की स्थायी समिति का महत्वपूर्ण कदम
विदेश मामलों की स्थायी समिति का यह कदम महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह भारत-बांग्लादेश संबंधों की समीक्षा के साथ-साथ सीमा पार स्थिरता और सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करने के उपायों पर सुझाव दे सकती है। समिति की रिपोर्ट से यह उम्मीद की जा रही है कि वह संसद को बांग्लादेश में घटनाक्रम और भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया के बारे में अद्यतन जानकारी प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त यह बैठक भारतीय समुदाय और संगठनों की चिंताओं को सरकार तक पहुंचाने का एक मंच भी बनेगी।
इस्कॉन पर प्रतिबंध की मांग से विवाद
हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू नेता चिनमॉय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग ने विवाद को जन्म दिया। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती घटनाओं ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया है।
कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक भारत के पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने और संवेदनशील मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। समिति के निष्कर्षों से भारत को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा यह भारत के हितों की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।
विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग से तस्वीर होगी साफ
विदेश मंत्रालय की 11 दिसंबर को प्रस्तावित ब्रीफिंग से बांग्लादेश में मौजूदा संकट पर भारत की स्थिति स्पष्ट होगी। यह न केवल दोनों देशों के संबंधों को समझने में मदद करेगा। बल्कि भारतीय कूटनीति की दिशा और अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा के लिए भविष्य की नीतियों का मार्गदर्शन भी करेगा। इस बैठक पर सभी की निगाहें होंगी। क्योंकि यह भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए एक निर्धारक क्षण साबित हो सकती है।