भाजपा की नीतियों के खिलाफ बस्तर में गूंजा जन-आक्रोश, कांग्रेस की ‘न्याय पदयात्रा’ बनी आदिवासी अस्मिता की आवाज़
कांग्रेस की 'न्याय पदयात्रा'

Devya News/Kanker- बस्तर की पवित्र भूमि, जहां हर कण में आदिवासी अस्मिता बसती है और जंगल-पहाड़ों में इसकी आत्मा धड़कती है, आज कथित तौर पर भाजपा सरकार की नीतियों के कारण संकट में है। कांग्रेस पार्टी ने इसी जनचेतना को स्वर देते हुए 26 से 29 मई के बीच किरंदुल से दंतेवाड़ा तक 40 किलोमीटर लंबी ‘न्याय पदयात्रा’ का आयोजन किया।
पार्टी नेताओं के अनुसार, यह केवल एक आंदोलन नहीं बल्कि बस्तर की पुकार थी। यह पदयात्रा उस जन-आक्रोश का प्रतीक बनी जिसमें स्थानीय जनता ने बस्तर के प्राकृतिक संसाधनों की ‘कॉर्पोरेट लूट’ के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
🌿 “दो संविधान, दो मापदंड?”
जन सेवक सरजू शोरी ने आरोप लगाया कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियाँ बस्तर को बाजार में बदलने पर आमादा हैं। पेसा कानून, ग्राम सभा और वनाधिकार अधिनियम अब केवल भाषणों तक सीमित रह गए हैं।
“लगता है जैसे सरकार ने बस्तर में दो संविधान लागू कर दिए हैं — एक पूंजीपतियों के लिए, जिसमें कोई रोक-टोक नहीं, और दूसरा आम जनता के लिए, जिसमें हर अधिकार मांगना भी अपराध बन गया है।” — सरजू शोरी, जन सेवक
⛏️ “खदानें कॉर्पोरेट्स को सौंप दी गईं”
सरजू शोरी ने बताया कि बैलाडीला की 1ए और 1बी खदानें आर्सेलर मित्तल, 1सी खदान रूंगटा स्टील और कांकेर की हाहालादी खदान सागर स्टोन को 50 वर्षों के लिए सौंप दी गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार बस्तर में कॉर्पोरेट्स के लिए रेड कारपेट बिछा रही है, जबकि आदिवासी जनता के अधिकारों को रौंदा जा रहा है।
🔴 जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष का ऐलान
कांग्रेस पार्टी की इस पदयात्रा को स्थानीय जनता का भी भरपूर समर्थन मिला। सरजू शोरी ने यह भी कहा कि भाजपा की जनविरोधी नीतियाँ बस्तर की आत्मा और वहां के माटीपुत्रों के अधिकारों पर सीधा हमला हैं।
“हम बस्तर को लूट का बाजार नहीं बनने देंगे, यह हमारी माटी है और इसके हर कण की रक्षा के लिए हम संघर्ष करेंगे।” — सरजू शोरी
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